Tuesday, 25 August 2020

अथर्ववेद: Part V

 


        अथर्ववेदस्य ब्राह्मणं पूर्वगोपथम् उत्तरगोपथमिति द्विधा        विभक्तं गोपथब्राह्मणमिति एकमेव उपलब्धमस्ति अथर्ववेदस्य    शिक्षाग्रन्थः माण्डूकी शिक्षा इत्युच्यते। अथर्ववेदस्य व्याकरणात्मकं प्रातिशाख्यं अथर्ववेदीय-प्रातिशाख्यमित्यस्ति। अथर्ववेदस्य    नक्षत्रकल्पः, वैतानश्रौतसूत्रं, संहिताविध्यात्मक-कौशिकगृह्यसूत्रं, आङ्गिरसकल्पः, शान्तिकल्पः इति पञ्चविधकल्पेषु कल्पद्वय-मेवोपलभ्यते। अथर्ववेदस्य 31 उपनिषदः संबद्धाः अपि प्रश्न-      मुण्डक-माण्डूक्योपनिषदः मुख्यतया मन्यन्ते।  अथर्ववेदस्य        ज्यौतिषम् आथर्वणज्यौतिषमिति नाम्ना 162 पद्यात्मकत्वेन       दृश्यते॥

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