Monday, 24 August 2020

अथर्ववेदः Part IV



        अथर्ववेदः ब्रह्मविषयकदार्शनिकसिद्धान्ताः, भैषज्य-कर्माणि, दुःस्वप्न-दुःशकुननिवारणाय शान्तिकर्माणि तथा पौष्टिककर्माणि, राजनीति, राष्ट्रिय-सामाजिक-पारिवारिक-राजनीतिक-धार्मिक-सामञ्जस्यार्थं मर्त्यानां परस्परसौहार्दभावनाः, अनिष्टदूरीकरणार्थं क्षमायाचना, देवप्रार्थना, प्रायश्चित्तादि कर्माणि, स्वास्थ्य तथा दीर्घायुष्प्राप्त्यर्थम् आयुष्यकर्माणि, दैत्य-राक्षस-शत्रूणां मारण-मोचन-उच्चाटन-वशीकरणादि अभिचार-कर्माणि चेत्यादीनि समग्रं संयक् प्रतिपादयति॥

                                                       ..... अनुवर्तते......., 



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