Thursday 8 April 2021

श्रीमद्रामायणम् Part VI (श्रीमद्रामायणस्य उपजीव्यत्वम् उत प्रेरकत्वम्)

 

    महाकाव्यं श्रीमद्रामायणं परवर्तिनां काव्यानां नाटकानां चोपजीव्यत्वेन संस्तूयते। महाकाव्यमेतदाश्रित्य प्रवृत्तानि कानिचित् काव्यानि नाटकानि च उदाह्रियन्ते . . . . ,

श्रीमद्रामायणनाम्ना अन्यग्रन्थाः -

1.  अध्यात्मरामायणम्,      2. अद्भुतरामायणम्,

3. अगस्त्यरामायणम्,       4. आनन्दरामायणम्,

5. मयन्दरामायणम्,         6. भुसुण्डिरामायणम्।

काव्यग्रन्थाः -

   1. महाकविना कालिदासेन कृतं रघुवंशमहाकाव्यम्,

   2. महाकविना कुमारदासेन कृतं जानकीहरणम्,

  3. महाकविना प्रवरसेनेन कृतं सेतुबन्धमहाकाव्यम्,

  4. महाकविना भट्टिना कृतं रावणवधमिति भट्टिमहाकाव्यम्,

  5. महाकविना क्षेनेन्द्रेण कृतं रामायणमञ्जरी।

नाटकानि -

  1. महाकविना भासेन कृतम् प्रतिमानाटकम् अभिषेकनाटकञ्च,

  2. महाकविभवभूतिना कृतं महावीरचरितम् उत्तररामचरितञ्च,

  3. महाकविना मुरारिना कृतम् अनर्घराघवम्,

  4. महाकविना राजशेखरेण कृतं बालरामायणम्,

  5. महाकविना दिङ्नागेन कृतं कुन्दमालानाटकम्,

  6. महाकविना जयदेवेन कृतं प्रसन्नराघवम्,

  7. महाकविना दामोदरमिश्रेण कृतं हनुमन्नाटमिति महानाटकम्।       

चम्पूकाव्यानि -

  1. महाराजेन भोजेन कृता रामायणचम्पूः,

  2. महाकविना अनन्तभट्टेण कृता रामकथा,

  3. महाकविना वेङ्कटाध्वरिणा कृता उत्तरचम्पूः,

  4. महाकविना लक्ष्मणभट्टेण कृतं चम्पूरामायणम्।   

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