Friday, 22 September 2017

श्रीमदष्टलक्ष्मीस्तोत्रम्



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          भार्गवीं भाग्यदां वन्दे वरलक्ष्मीं शुभां रमाम् ।
          श्वेतध्वजाम्बुजैर्युक्तां चादिलक्ष्मीं चतुर्भुजाम् ।। 1।।

          षाड्गुण्यपरिपूर्णां त्वां षड्भुजां शर्मदायिनीम्।
          शङ्खचक्रधरां वन्दे धनलक्ष्मीं    दयामयीम्।। 2।।

          अष्टाम्बुजकरां भक्त-कष्टनष्टविनाशिनीम्।
          इष्टधान्यप्रदामीडे धान्यलक्ष्मीं धनुर्धराम्।। 3।।

    क्षीरार्णवसमुद्भूतां महैश्वर्यप्रदायिनीम्।
    पशुभाग्यप्रदां देवीं गजलक्ष्मीं प्रणौम्यहम्।।4।।

    सुकराम्बुजषट्कां च कलयामि कृपाजुषाम्।
    अङ्के विन्यस्तबालां त्वां प्रजालक्ष्मीं व्रजेऽनिशम्।।5।।

    धनुर्हस्तां दयापूर्णां शौर्यधैर्यप्रदायिनीम्।
    द्विचतुष्ककरां वन्दे वीरलक्ष्मीं शुभावहाम्।।6।।


    सर्वार्थसाधिकां वन्दे सर्वोपद्रववारिणीम्।
    तापापहां जयां लक्ष्मीं तालपत्रादिधारिणीम्।।7।।

    सर्वावयवसौन्दर्यां सर्वभूतहितप्रदाम्।
    सर्वदा भावये लक्ष्मीं सर्वसौभाग्यदायिनीम्।।8।।

    अष्टलक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं इष्टदं चार्थिनां कृते।
    नवरात्र्युत्सवारम्भे सौम्यनारायणोदितम्।।9।।   


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